नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अस्पताल मानकों को तैयार करने में ढिलाई बरतने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य एक राज्य का विषय होने के बावजूद, राज्यों ने केंद्र द्वारा तैयार किए गए मॉडल दिशानिर्देशों को लागू करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है।
कोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा, “यह देखकर दुख होता है कि राज्यों ने इस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।” पीठ ने आगे कहा कि राज्यों को अपने जवाबी हलफनामे के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा और यह बताना होगा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
केंद्र की भूमिका
केंद्र सरकार ने 2023 में आईसीयू और सीसीयू के लिए मॉडल दिशानिर्देश तैयार किए थे लेकिन राज्यों ने अभी तक इन्हें लागू नहीं किया है। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कई राज्यों ने अभी तक अपने जवाब भी नहीं दिए हैं।
राज्यों को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है, जिनमें गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, तमिल Nadu, उत्तराखंड, पश्चिम Bengal, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दादरा एवं नगर हवेली और दमन और दीव शामिल हैं।
अगली सुनवाई
कोर्ट ने इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों या स्वास्थ्य विभाग के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों को 20 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अनुपस्थिति के लिए कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पीड़ित परिवार की याचिका
यह मामला 2013 में कोलकाता के एक अस्पताल में एक महिला की मौत के मामले से संबंधित है, जिसमें पीड़ित परिवार ने मुआवजे की मांग की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में आईसीयू और सीसीयू के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया था।
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