वाशिंगटन (अमेरिका):- अमेरिका में नौकरी का सपना देखने वाले भारतीय पेशेवरों के लिए एच वन बी वीजा हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस वीजा से जुड़े नियमों में बदलाव करते हुए फीस को बहुत अधिक बढ़ा दिया है। अब आवेदकों को लगभग एक लाख डॉलर यानी करीब नब्बे लाख रुपये चुकाने होंगे। इस फैसले के बाद भारतीय आईटी सेक्टर और युवा प्रोफेशनल्स के लिए स्थिति काफी कठिन हो गई है।
अब तक एच वन बी वीजा अमेरिकी कंपनियों के लिए एक सस्ता और आसान विकल्प माना जाता था जिसके जरिए वे भारत जैसे देशों से स्किल्ड प्रोफेशनल्स को नियुक्त कर पाती थीं। लेकिन नई शर्तों के चलते न केवल आवेदकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा बल्कि कंपनियों के लिए भी विदेशी कर्मचारियों को रखने में झिझक बढ़ेगी। इसका सीधा असर भारतीय युवाओं पर पड़ेगा जो अमेरिका में करियर बनाने का सपना देखते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी ऊंची फीस से केवल वही लोग लाभान्वित हो पाएंगे जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत होगी। इसका अर्थ है कि मध्यम वर्गीय प्रतिभाशाली युवा इस प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं। इसके अलावा अमेरिकी बाजार में भारतीय कंपनियों की उपस्थिति भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि स्टाफिंग की लागत कई गुना बढ़ जाएगी।
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि इस कदम से केवल वे ही लोग अमेरिका आएंगे जो उच्च कौशल रखते हैं और स्थानीय नौकरियों पर दबाव नहीं डालेंगे। हालांकि आलोचक मानते हैं कि यह फैसला संरक्षणवादी सोच को दर्शाता है और इससे वैश्विक प्रतिभा का प्रवाह अमेरिका की ओर कम हो जाएगा।
कुल मिलाकर एच वन बी वीजा के नए नियम भारतीयों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं और इससे अमेरिका में करियर की राह पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो जाएगी।
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