वाशिंगटन (अमेरिका):- अमेरिका में भारतीय इंजीनियर मोहम्मद निजामुद्दीन की हत्या ने प्रवासी समुदाय को गहरी चिंता में डाल दिया है। इस घटना ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था बल्कि नस्लीय भेदभाव जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर कर दिया है। जानकारी के अनुसार निजामुद्दीन ने अपनी मौत से पहले कई बार शिकायत की थी कि वह नस्लीय नफरत का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने बताया था कि नौकरी से निकाले जाने के बाद उनके रूममेट ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और खाने में जहर तक मिलाया।
हत्या के दिन विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को दखल देना पड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक रूममेट के साथ हुए झगड़े के दौरान पुलिस मौके पर पहुंची और गोलीबारी हुई जिसमें निजामुद्दीन की जान चली गई। इस पूरे मामले ने वहां की कानून व्यवस्था और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
भारतीय समुदाय का मानना है कि अगर शिकायतों पर समय रहते ध्यान दिया जाता तो शायद यह दर्दनाक घटना टल सकती थी। स्थानीय संगठनों ने मांग की है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। वहीं निजामुद्दीन के परिवार ने भारत सरकार से अपील की है कि वे अमेरिका से इस मामले में ठोस जवाब मांगें और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाएं।
यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं बल्कि उन हजारों भारतीय पेशेवरों के लिए चेतावनी है जो बेहतर अवसरों की तलाश में विदेश जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विदेश में काम करने वाले भारतीयों को न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और मानसिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि सरकारें और प्रवासी संगठनों दोनों स्तर पर मिलकर उनके लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करें ताकि इस तरह की त्रासदियां दोबारा न हों।
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