नई दिल्ली :- प्रदेश के लाखों शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला चिंता का विषय बन गया है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले हर शिक्षक के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। इस निर्णय से उन शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं जिन्होंने अब तक यह परीक्षा पास नहीं की है।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह फैसला न केवल उनकी नौकरी पर असर डालेगा बल्कि पदोन्नति की प्रक्रिया भी प्रभावित करेगा। कई अनुभवी शिक्षक वर्षों से सेवा दे रहे हैं लेकिन उनके सामने अब परीक्षा पास करने की चुनौती आ खड़ी हुई है। इस वजह से संगठन लगातार सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं।
शासन ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का भरोसा दिया है। आगामी बैठक में यह तय किया जाएगा कि शिक्षकों को किस तरह से राहत दी जा सकती है। संभावना जताई जा रही है कि सेवा में पहले से कार्यरत शिक्षकों के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए जाएं ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे और साथ ही शिक्षा व्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
राज्य सरकार का प्रयास है कि शिक्षा की गुणवत्ता भी बनी रहे और शिक्षकों को अनावश्यक कठिनाई का सामना भी न करना पड़े। अगर बैठक में कोई सकारात्मक निर्णय निकलता है तो यह हजारों परिवारों के लिए बड़ी राहत की बात होगी। अब सभी की निगाहें सरकार की बैठक पर टिकी हुई हैं क्योंकि वहीं से तय होगा कि शिक्षकों के भविष्य की दिशा कौन सी होगी।
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