नई दिल्ली :- सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर अपना महत्वपूर्ण आदेश सुनाया है। अदालत ने अधिनियम की वैधता पर कोई अंतिम फैसला देने से फिलहाल इंकार कर दिया है और यह स्पष्ट किया है कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाने का आधार अभी पर्याप्त नहीं है। हालांकि अदालत ने अधिनियम की कुछ धाराओं के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए अस्थायी शर्तें लागू की हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि आने वाले समय में किसी भी पक्ष को अपूरणीय क्षति न पहुंचे और सभी समुदायों के हित सुरक्षित रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला संवेदनशील है और इससे जुड़ा प्रभाव व्यापक है। अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है और यह भी निर्देश दिया है कि सभी पक्षों की दलीलें सुने बिना अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सकता। इस बीच अदालत ने कुछ विवादित प्रावधानों जैसे संपत्ति के स्वामित्व से जुड़े अधिकार और प्रबंधन संबंधी नियमों पर रोक लगाई है। इसका मतलब यह है कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं होती तब तक इन धाराओं को लागू नहीं किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 का उल्लंघन करता है और इससे धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के अधिकार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। दूसरी ओर केंद्र सरकार का तर्क है कि संशोधन का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है और इससे किसी के मूलभूत अधिकारों का हनन नहीं होता।
अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस मामले की सुनवाई जल्द पूरी करने का प्रयास किया जाएगा ताकि असमंजस की स्थिति समाप्त हो सके। फिलहाल अधिनियम आंशिक रूप से लागू रहेगा लेकिन विवादित धाराओं पर रोक जारी रहेगी। इस आदेश के बाद देशभर में इस मुद्दे पर फिर से बहस तेज हो गई है और सभी की नजरें अब सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर टिकी हुई हैं।
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