नई दिल्ली :- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने हालिया बयान में भारत की मजबूती और एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस के साथ किया है और आने वाले समय में भी यही परंपरा कायम रहेगी। उन्होंने इंग्लैंड की मौजूदा स्थिति का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां समाज और राजनीति में विभाजन की स्थिति पैदा हो चुकी है लेकिन भारत की खासियत यह है कि हम किसी भी परिस्थिति में विभाजित नहीं होंगे।
भागवत ने कहा कि भारत की संस्कृति ही वह आधार है जो सभी को एक सूत्र में पिरोकर रखती है। विविधता में एकता केवल एक नारा नहीं बल्कि यहां का जीवन दर्शन है। उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी शक्तियों और आंतरिक कठिनाइयों के बावजूद भारत ने हमेशा अपनी सभ्यता और मूल्य प्रणाली को बनाए रखा है। यही कारण है कि देश आज विकास की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है और सबकी भविष्यवाणियों को गलत साबित कर रहा है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को कमजोर करने के लिए समय समय पर प्रयास हुए लेकिन हर बार यह देश और अधिक सशक्त बनकर उभरा। अंग्रेजों के शासनकाल में भी विभाजन की साजिशें रची गईं लेकिन भारतीय समाज ने अपनी सांस्कृतिक शक्ति से उन्हें झुठलाया। आज जब दुनिया अनेक संकटों से जूझ रही है तब भारत एक नए आत्मविश्वास के साथ खड़ा है।
मोहन भागवत का संदेश स्पष्ट था कि हमें अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़े रहना चाहिए और किसी भी तरह की विभाजनकारी सोच को जगह नहीं देनी चाहिए। उनका विश्वास है कि अगर हम सब मिलकर आगे बढ़ें तो भारत न केवल मजबूत बनेगा बल्कि विश्व को भी मार्गदर्शन देने की क्षमता रखेगा।
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