नई दिल्ली:- हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि दुनिया भर की कंपनियां व्यापारिक नीतियों में बढ़ती अनिश्चितता और टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। सर्वे के अनुसार, टैरिफ का भुगतान करने की तुलना में, टैरिफ को लेकर बनी अनिश्चितता कंपनियों के लिए ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रही है। यह अनिश्चितता कंपनियों को निवेश, आपूर्ति श्रृंखला और दीर्घकालिक योजना बनाने में बाधा डाल रही है। सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों के कार्यकारी अधिकारियों ने बताया कि टैरिफ दरें कब और कितनी बदलेंगी, इसका कोई अनुमान नहीं होने से भविष्य की योजनाओं पर ब्रेक लग रहा है। एक तरफ जहां टैरिफ की लागत सीधे तौर पर कंपनियों के मुनाफे को कम करती है, वहीं व्यापारिक नीतियों में निरंतर बदलाव का डर निवेश को हतोत्साहित कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यापार युद्धों और बदलती भू-राजनीतिक स्थितियों के कारण टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। कंपनियां ऐसे माहौल में नए बाजारों में विस्तार करने या नई उत्पादन सुविधाओं में निवेश करने से हिचक रही हैं। इसका सीधा असर रोजगार सृजन और आर्थिक विकास पर पड़ रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस अनिश्चितता ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी बाधित किया है जिससे लागत बढ़ रही है और दक्षता में कमी आ रही है।रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिन देशों में टैरिफ दरें ऊंची हैं, वहां की कंपनियां अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए लागत में कटौती के लिए मजबूर हैं। इससे अक्सर गुणवत्ता और नवाचार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह सर्वेक्षण इस बात की पुष्टि करता है कि मुक्त और अनुमानित व्यापारिक माहौल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण है। टैरिफ और व्यापार युद्धों से सिर्फ वही देश प्रभावित नहीं हो रहे हैं, जो सीधे तौर पर इनमें शामिल हैं, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर देखा जा सकता है।

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