वाशिंगटन (अमेरिका):- भारत और अमेरिका के रिश्तों को बीते कुछ समय से कई उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान दिया कि भारत चीन के खेमे की ओर झुक सकता है। इस बयान ने कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी और दोनों देशों के बीच रिश्तों पर तनाव की परछाई दिखने लगी। हालांकि इसके तुरंत बाद ट्रंप ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता बताते हुए कहा कि भारत और अमेरिका का संबंध बेहद विशेष है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप दोनों समझते हैं कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में एक दूसरे का साथ कितनी बड़ी आवश्यकता है। रक्षा व्यापार से लेकर टेक्नोलॉजी और आर्थिक सहयोग तक दोनों देशों की साझेदारी केवल कागजों तक सीमित नहीं है बल्कि यह वैश्विक रणनीतिक संतुलन में अहम भूमिका निभाती है। इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत से निपटने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है और भारत भी अमेरिका के सहयोग से अपनी अंतरराष्ट्रीय स्थिति को और मजबूत करना चाहता है।
कूटनीति में कभी कभी बयानबाजी से दूरी बढ़ जाती है लेकिन परिपक्व नेतृत्व उसे संभाल लेता है। यही इस मामले में भी देखने को मिला जब ट्रंप के बयान पर विवाद गहराने से पहले ही उन्होंने संबंधों की मजबूती का संकेत दे दिया। भारत और अमेरिका दोनों लोकतांत्रिक मूल्य साझा करते हैं और वैश्विक शांति में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यही वजह है कि छोटे मोटे मतभेद कभी भी रिश्तों की नींव को हिला नहीं सकते।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश रणनीतिक साझेदारी को किस स्तर तक आगे ले जाते हैं। फिलहाल इतना तय है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते किसी एक बयान पर नहीं बल्कि साझा हितों और मजबूत विश्वास पर टिके हुए हैं।
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