लखनऊ (उत्तर प्रदेश)- उत्तर प्रदेश के कई हिस्से इन दिनों भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में बाढ़ ने तबाही मचाई है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं, फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे संकट की घड़ी में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने एक सराहनीय पहल की है। RLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने एक बड़ा और संवेदनशील फैसला लेते हुए पार्टी के सभी सांसदों और विधायकों से आग्रह किया है कि वे अपने एक माह का वेतन बाढ़ राहत कोष में दान करें। उन्होंने खुद इस पहल की शुरुआत करते हुए अपने वेतन का एक हिस्सा राहत कार्यों के लिए समर्पित किया है।जयंत चौधरी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “देश के लाखों लोग आज बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे हैं। कई घर बह गए हैं, लोगों की आजीविका छिन गई है और बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। ऐसे समय में हर नागरिक और हर राजनीतिक दल की जिम्मेदारी बनती है कि वह एकजुट होकर पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए। इसी सोच के तहत हमने यह फैसला लिया है।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय लोकदल के सभी जनप्रतिनिधि, चाहे वे लोकसभा या विधानसभा में हों, या फिर विधान परिषद के सदस्य हों, वे सभी अपने एक महीने का वेतन बाढ़ राहत कोष में देंगे। इस पहल का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी भेजना है कि राजनीति केवल सत्ता की नहीं, बल्कि सेवा की भी माध्यम हो सकती है।RLD के इस फैसले की सराहना विभिन्न सामाजिक संगठनों और आम जनता ने भी की है। लोगों का कहना है कि ऐसे समय में जब कई राजनेता केवल बयानबाज़ी तक सीमित रहते हैं, RLD ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। पार्टी का यह कदम निश्चित रूप से अन्य दलों को भी प्रेरित करेगा।जयंत चौधरी ने सरकार से भी अपील की कि राहत और बचाव कार्यों में और तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में न केवल भोजन और दवा की व्यवस्था हो, बल्कि पुनर्वास और रोजगार की योजनाएं भी तुरंत लागू की जाएं। साथ ही, भविष्य में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक नीति बनाना ज़रूरी है।उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से भी आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर राहत सामग्री वितरण में प्रशासन की मदद करें, और जहां भी संभव हो, स्वयंसेवक के रूप में काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आम नागरिक चाहें तो RLD द्वारा स्थापित राहत फंड में योगदान कर सकते हैं।बाढ़ से निपटना केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह सामाजिक चेतना और सहानुभूति का भी विषय है। RLD की इस पहल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब बात मानवता की होती है, तब राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सभी को एक साथ आना चाहिए।
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