नई दिल्ली — अगस्त 2025 में भारत की सर्विस सेक्टर (सेवाओं का क्षेत्र) ने 15 साल के उच्चतम विकास दर को चूू किया है। यह वृद्धि HSBC India Services PMI (Purchasing Managers’ Index), जिसे S&P Global तैयार करता है, 62.9 अंक पर पहुंचकर हुई है, जो जुलाई के 60.5 से काफी अधिक है। यह आंकड़ा 2010 के जून माह के बाद से सबसे उच्च है।
बढ़ते ऑर्डर और अंतरराष्ट्रीय मांग का जोर
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कूद का मुख्य कारण नई मांग में तेजी और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में जबरदस्त वृद्धि से हुआ है। HSBC के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी ने बताया कि “नई ऑर्डर की वृद्धि जून 2010 के बाद सबसे तेज रही है” और एक्सपोर्ट ऑर्डर ने भी पिछले 14 महीनों में अपने चरम स्तर को छुआ।
इस मांग ने सेवाओं की कंपनियों को नए कर्मचारियों की भर्ती करने में मदद की। लागत बढ़ने के बावजूद कंपनियों ने इनपुट और आउटपुट कीमतों में वृद्धि की — आउटपुट की कीमतें 2012 के बाद सबसे तेज बढ़ीं, और इनपुट लागत नौ महीने में सबसे अधिक रही।
कंपोजिट PMI ने 17 साल का उच्च रिकॉर्ड दिखाया
सिर्फ सर्विस सेक्टर ही नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग सहित दोनों क्षेत्रों के समग्र प्रदर्शन को मापने वाला Composite PMI भी बढ़कर 63.2 अंक पर पहुंच गया, जो पिछले 17 वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर है।
सकारात्मक व्यापारिक विश्वास लेकिन रोजगार रक्षा में सतर्कता
व्यापारिक विश्वास का माइना बढ़ा है — कंपनियों ने अगले वर्ष को लेकर आशावाद जताया है और मार्केटिंग योजनाओं को लेकर उत्साह दिखाया है। लेकिन रोजगार की वृद्धि उतनी तेज नहीं रही — यह वृद्धि अभी भी संयमित और सीमित रही।
पंच लाइन: मुद्रास्फीति और आर्थिक स्थिरता का संतुलन
भले ही अर्थव्यवस्था की गति तेज हो, इस वृद्धि ने एक महत्वपूर्ण खतरा भी दिखाया — महँगाई (इनफ्लेशन) का दबाव। आउटपुट कीमतों में वृद्धि जो दिखी है, वह 2012 के बाद सबसे तेज है। इनपुट लागत की तेजी से यह संकेत मिलता है कि रिलीजिंग वित्तीय नीतियां, जैसे ब्याज दरों में कटौती, फिलहाल संभवतः टल सकती हैं।
समग्र अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था का Q1 FY26 में 7.8% तक विस्तार हुआ है — जो सभी अनुमानों से अधिक है। PMI की यह मजबूती इस वृद्धि की पुष्टि करती है और दर्शाती है कि मांग का दबाव वास्तविक और व्यापक है।
हालाँकि, कुछ जोखिम बने हुए हैं — जैसे अमेरिका की ओर से भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% टैरिफ — जो आने वाले महीनों में आर्थिक गति को प्रभावित कर सकता है।
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