नई दिल्ली:- भारत के लिए यह गर्व का क्षण है क्योंकि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बनने जा रहे हैं। उनका मिशन अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट के ज़रिए शुरू होगा। इस यात्रा में उनका साधन होगा स्पेसएक्स द्वारा बनाया गया अत्याधुनिक ड्रैगन कैप्सूल जो अंतरिक्ष यात्रा के नए युग का प्रतीक बन चुका है।
ड्रैगन कैप्सूल एक दोबारा उपयोग में लाया जा सकने वाला स्पेसक्राफ्ट है जिसे खास तौर पर मानव मिशन के लिए डिजाइन किया गया है। यह कैप्सूल चार से सात अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचाने में सक्षम है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह पृथ्वी के वातावरण में फिर से प्रवेश करते समय भी सुरक्षित रहता है जिससे एस्ट्रोनॉट की वापसी आसान हो जाती है।
शुभांशु इस मिशन के दौरान करीब चौदह दिन अंतरिक्ष में बिताएंगे। इस समय के दौरान वे सात से नौ वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे जिनमें बायोलॉजी फिजिक्स और पृथ्वी से जुड़े डेटा विश्लेषण शामिल हैं। यह प्रयोग भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए आधार तैयार करेंगे और विज्ञान के क्षेत्र में भारत के योगदान को और मज़बूत करेंगे।
हर अंतरिक्ष यात्री अपने साथ एक छोटा सा सॉफ्ट टॉय भी लेकर जाता है। यह सिर्फ कोई इमोशनल प्रतीक नहीं होता बल्कि इसका इस्तेमाल यह जांचने के लिए किया जाता है कि स्पेसक्राफ्ट में माइक्रोग्रैविटी कब शुरू हो गई है। जैसे ही वह खिलौना हवा में तैरने लगता है अंतरिक्ष यात्री जान जाते हैं कि वे अब पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण सीमा से बाहर आ चुके हैं।
शुभांशु का यह सफर न केवल विज्ञान के क्षेत्र में भारत के लिए एक उपलब्धि है बल्कि यह देश के युवाओं को भी प्रेरणा देगा। एक सामान्य परिवार से आने वाले शुभांशु ने यह साबित कर दिया है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती। मेहनत और लगन से अंतरिक्ष भी पहुंचा जा सकता है।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा में यह एक नया अध्याय है। ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से हो रही यह ऐतिहासिक उड़ान भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए रास्ते खोलेगी और आने वाली पीढ़ियों को विज्ञान के क्षेत्र में और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। शुभांशु की यह उपलब्धि केवल एक मिशन नहीं बल्कि पूरे देश का सम्मान है।