इस्लामाबाद :- पाकिस्तान के सिंध प्रांत से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े कुख्यात आतंकी रजाउल्ला निज़ामनी खालिद उर्फ अबू सैफुल्ला खालिद की अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सैफुल्ला खालिद उन आतंकियों में शामिल था, जिसने 2006 में नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय पर हमले की साजिश रची थी।
कैसे हुई हत्या?
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिंध प्रांत के हैदराबाद जिले में सोमवार देर रात खालिद को उसके ठिकाने के पास दो हमलावरों ने निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बाइक सवार हमलावरों ने पहले खालिद को आवाज़ देकर रोका, और जैसे ही वह पलटा, उस पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग दी गईं। गोली लगते ही खालिद मौके पर ही गिर पड़ा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
कौन था अबू सैफुल्ला खालिद?
अबू सैफुल्ला खालिद भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में गिना जाता था। वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य था। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, उसने भारत में कई आतंकी घटनाओं की योजना बनाई थी।
2006 में नागपुर आरएसएस मुख्यालय पर हमले की साजिश में उसका नाम प्रमुख रूप से सामने आया था। हालाँकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने उस समय इस हमले को विफल कर दिया था, लेकिन उसकी इस साजिश से यह स्पष्ट हो गया था कि खालिद भारत के खिलाफ बड़ी साजिशों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है।
भारत से था पुराना दुश्मनी का नाता
खालिद पर आरोप था कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारों पर काम करता था और भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता था। उसने जम्मू-कश्मीर, मुंबई और दिल्ली में भी आतंकवादी नेटवर्क को समर्थन देने का काम किया था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने लंबे समय से उसकी तलाश कर रखी थी, लेकिन वह पाकिस्तान में छिपा बैठा था और वहीं से भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित कर रहा था।
हत्या के पीछे कौन?
हालांकि अभी तक इस हत्या की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अंदरूनी गुटबाजी, धंधों में आपसी टकराव, या फिर खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई सर्जिकल कार्रवाई भी हो सकती है। खालिद कई आतंकी संगठनों के बीच की जानकारी रखता था, जिससे उसके मारे जाने के पीछे किसी बड़ी योजना की आशंका भी जताई जा रही है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय खुफिया तंत्र इस खबर पर नजर बनाए हुए है। विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही भारत इस ऑपरेशन में शामिल न रहा हो, लेकिन खालिद की मौत भारत के लिए एक बड़ी राहत है।
निष्कर्ष:
अबू सैफुल्ला खालिद की हत्या भले ही पाकिस्तान की ज़मीन पर हुई हो, लेकिन इसका प्रभाव भारत की सुरक्षा नीति और आतंक के खिलाफ संघर्ष में सकारात्मक माना जा रहा है। यह घटना दर्शाती है कि आतंक के रास्ते पर चलने वालों का अंत कभी भी और कहीं भी हो सकता है।
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