नई दिल्ली: अगर आप UPI का इस्तेमाल करते हैं तो 1 अप्रैल से नए नियमों के लिए तैयार हो जाइए। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSP) के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिससे डिस्कनेक्ट या सरेंडर किए गए मोबाइल नंबरों को हटाने की प्रक्रिया तेज होगी।
हर हफ्ते अपडेट होंगे डेटा
NPCI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे नए और बंद किए गए मोबाइल नंबरों की जानकारी साप्ताहिक रूप से अपडेट करें ताकि यूपीआई लेन-देन में कोई गड़बड़ी न हो। यह प्रक्रिया मोबाइल नंबर के दोबारा इस्तेमाल (रीसाइक्लिंग) से होने वाली गलतियों को कम करने में मदद करेगी।
यूपीआई ऐप में नया ऑप्ट-इन विकल्प
– UPI नंबर को जोड़ने या पोर्ट करने से पहले यूजर की स्पष्ट सहमति लेनी होगी।
– ऐप में ऑप्ट-इन का विकल्प होगा यानी डिफॉल्ट रूप से यह सुविधा बंद रहेगी और यूजर को इसे खुद सक्रिय करना होगा।
– ऐप भ्रामक या जबरदस्ती सहमति लेने वाले मैसेज नहीं दिखाएगा।
लेन-देन के दौरान नहीं ली जाएगी सहमति
NPCI ने स्पष्ट किया कि UPI ट्रांजैक्शन के दौरान या उससे पहले यूजर की सहमति नहीं मांगी जाएगी। इससे यूजर्स को बिना किसी बाधा के सुरक्षित लेन-देन की सुविधा मिलेगी।
बैंकों को हर महीने NPCI को देनी होगी रिपोर्ट
अगर किसी तकनीकी कारण से NPCI मैपर सही तरीके से काम नहीं करता तो बैंक और PSP अस्थायी रूप से अपने स्तर पर समस्या का समाधान कर सकते हैं लेकिन उन्हें हर महीने NPCI को इसकी रिपोर्ट देनी होगी।
यूपीआई इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाने पर चर्चा
NPCI ने 16 जुलाई 2024 को UPI संचालन समिति की बैठक में इन बदलावों पर चर्चा की थी। इसका मकसद UPI नंबर आधारित पेमेंट्स को और ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना है।
यूजर्स के लिए फायदे
– बंद या बदले गए मोबाइल नंबरों से UPI में कोई गलती नहीं होगी।
– धोखाधड़ी और फर्जी लेन-देन की संभावना कम होगी।
– UPI ऐप का इस्तेमाल और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी होगा।
1 अप्रैल से लागू हो रहे इन नियमों से UPI का उपयोग पहले से ज्यादा सुरक्षित और आसान हो जाएगा।