संभल (उत्तर प्रदेश):- चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में वर्षों से मिट्टी में दब चुकी ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई का कार्य चौथे दिन भी जारी है। खुदाई के दौरान बावड़ी में छिपे हुए कमरे और सीढ़ियों का खुलासा हुआ है। यह इलाका मुस्लिम बाहुल्य है और यहां पर वर्षों पहले जमींदोज हो चुकी इस बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व बताया जा रहा है। प्रशासन ने चौथे दिन बुलडोजर और अन्य भारी मशीनों का इस्तेमाल बंद करवा दिया और अब फावड़ों की मदद से सावधानीपूर्वक मिट्टी हटाई जा रही है। खुदाई में जुटे विशेषज्ञों और मजदूरों का कहना है कि अगर इसी तरह कार्य चलता रहा तो एक सप्ताह के भीतर पूरी बावड़ी की संरचना स्पष्ट रूप से सामने आ जाएगी।
फिलहाल, बावड़ी की खुदाई में करीब दो दर्जन मजदूर लगातार कार्यरत हैं। बावड़ी के अंदर का क्षेत्र धीरे-धीरे खुल रहा है जिसमें प्राचीन निर्माण शैली देखने को मिल रही है। स्थानीय लोग भी इस खुदाई को लेकर उत्सुक हैं और बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
जिला प्रशासन ने बताया है कि बावड़ी के क्षेत्रफल में अवैध निर्माण की जांच की जा रही है। यदि कोई अवैध निर्माण पाया गया तो उसे हटाया जाएगा। साथ ही प्रशासन ने सर्वेक्षण टीम को बावड़ी की सटीक स्थिति और क्षेत्रफल का नक्शा तैयार करने का निर्देश दिया है।
इसी इलाके में स्थित खंडहर में तब्दील हो चुके बांके बिहारी मंदिर की जमीन का सर्वे भी कराया गया। सर्वेक्षण में पता चला कि मंदिर की कई बीघा जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है। प्रशासन जल्द ही इस कब्जे को हटाने के लिए कार्रवाई शुरू करेगा।
बावड़ी और मंदिर दोनों ही इस क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इन संरचनाओं के पुनरुद्धार से इलाके की पहचान को नई ऊर्जा मिलेगी। प्रशासन का कहना है कि बावड़ी और मंदिर की संरचना को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
लक्ष्मण गंज के लोग बावड़ी और मंदिर की खुदाई को लेकर उत्साहित हैं। कई बुजुर्गों ने दावा किया है कि यह बावड़ी और मंदिर इस इलाके की समृद्ध विरासत का हिस्सा हैं। खुदाई के दौरान लोगों की भीड़ उमड़ रही है और प्रशासन ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इलाके में पुलिस बल भी तैनात किया है।संभल के चंदौसी क्षेत्र में ऐतिहासिक बावड़ी और बांके बिहारी मंदिर की खुदाई से इलाके के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की कोशिशें तेज हो गई हैं।