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छगन भुजबल ने मंत्री पद को लेकर नाराजगी जताई, बैठक में दिया अस्मिता की लड़ाई का संकेत

महाराष्ट्र (मुंबई):- महाराष्ट्र में एनसीपी (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने बुधवार को नासिक के येवला में आयोजित एक अहम बैठक में अपनी नाराजगी का इजहार किया। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में उन्हें स्थान न दिए जाने के कारण भुजबल बेहद खफा हैं और उन्होंने बैठक में इस मुद्दे को लेकर अपने समर्थकों को संबोधित किया। भुजबल ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष मंत्री पद के लिए नहीं बल्कि अपनी अस्मिता और पहचान के लिए है।

भुजबल ने बैठक में कहा हम वे लोग हैं जो शून्य से शुरुआत करके समाज की सेवा करते हैं और इस बार भी हम अपनी पहचान की लड़ाई लड़ेंगे। हमारी यह लड़ाई मंत्री पद के लिए नहीं है बल्कि यह हमारी अस्मिता की लड़ाई है। भुजबल का यह बयान उनकी लंबे समय से चली आ रही राजनीति और संघर्ष को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास 40 वर्षों का अनुभव है और वे कई मंत्रालयों में कार्य कर चुके हैं जिससे यह साबित होता है कि उनका संघर्ष किसी पद के लिए नहीं है बल्कि समाज के लिए है।

इस बैठक में छगन भुजबल ने समता परिषद के कार्यकर्ताओं और ओबीसी समाज के नेताओं को भी बुलाया था। यह संकेत देता है कि भुजबल अपनी राजनीति को और भी व्यापक बनाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने अपने समर्थकों को एकजुट होने और भविष्य में क्षेत्रीय विकास के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

भुजबल ने येवला-लासलगांव विधानसभा क्षेत्र के लोगों को विशेष रूप से धन्यवाद दिया जिन्होंने उन्हें पांचवीं बार चुनावी जीत दिलाई। उन्होंने कहा यह मेरी नहीं हमारी सभी की जीत है। हम सब मिलकर इस क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे।

भुजबल का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर भुजबल अपने समर्थकों के साथ अपनी पहचान की लड़ाई को तेज करते हैं तो यह राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। उनके इस कदम को एनसीपी के भीतर भी कुछ बडे़ बदलावों का संकेत माना जा रहा है खासकर तब जब पार्टी में उनके प्रभाव को लेकर सवाल उठने लगे हैं। छगन भुजबल के इस बयान ने राज्य की सियासत में हलचल पैदा कर दी है और आगामी दिनों में उनकी भूमिका और राजनीति पर नया मोड़ देखने को मिल सकता है।

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