नई दिल्ली:- भारतीय सिनेमा का इतिहास अपने आप में एक सुनहरी गाथा है जिसमें कई कलाकारों की कहानियां हमें प्रेरित करती हैं। इन्हीं में से एक नाम है अशोक कुमार (Ashok Kumar) का जिन्हें हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार माना जाता है। अशोक कुमार ने अपने दमदार अभिनय से न सिर्फ आजादी से पहले बल्कि आजादी के बाद भी दर्शकों के दिलों पर राज किया। उनकी 1940 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘बंधन’ ने हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा और बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता हासिल की।
अशोक कुमार ने 1936 में आई फिल्म जीवन नैय्या से बतौर अभिनेता अपना करियर शुरू किया। शुरुआत में उनकी फिल्में औसत प्रदर्शन कर रही थीं लेकिन वे लगातार अपनी कला में निखार लाते रहे। इस मेहनत का नतीजा साल 1940 में देखने को मिला जब उनकी फिल्म बंधन रिलीज हुई।
फिल्म बंधन में अशोक कुमार ने अपने दमदार अभिनय से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस फिल्म का निर्देशन फ्रांज ऑस्टिन और शशिधर मुखर्जी ने किया था जबकि इसके गाने और कहानी ने दर्शकों को बेहद प्रभावित किया। खासकर फिल्म का गीत चल चल रे नौजवान उस दौर का सुपरहिट गाना बन गया था जिसने स्वतंत्रता संग्राम के समय युवाओं में जोश भर दिया।
बंधन फिल्म न केवल व्यावसायिक रूप से सफल रही बल्कि उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बन गई। इस फिल्म ने साबित किया कि अशोक कुमार हिंदी सिनेमा में लंबी पारी खेलने वाले कलाकार हैं। उनके अभिनय की विविधता और गहराई ने उन्हें जनता का चहेता बना दिया।
अशोक कुमार को उनके प्रशंसक प्यार से दादामुनि बुलाते थे। उनका अभिनय स्वाभाविक और प्रभावशाली था जो उस समय के अन्य अभिनेताओं से बिल्कुल अलग था। उन्होंने न सिर्फ अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया बल्कि सिनेमा की नई दिशा भी तय की।
आजादी से पहले की फिल्में खासतौर पर बंधन उस दौर के समाज और राजनीति का आईना थीं। अशोक कुमार ने इस फिल्म में न सिर्फ अपनी कला का प्रदर्शन किया बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के दौर में सिनेमा के महत्व को भी स्थापित किया।
अशोक कुमार की फिल्म बंधन आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है। यह फिल्म उस दौर की पीढ़ी के लिए प्रेरणा थी और आज भी इसे क्लासिक सिनेमा के रूप में याद किया जाता है। अशोक कुमार जैसे कलाकारों ने भारतीय सिनेमा को जो ऊंचाई दी वह आज भी फिल्म इंडस्ट्री में मिसाल है।