नई दिल्ली:- भारत सरकार ने हाल ही में अपने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) को मापने के तरीके में बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम देश की विकास दर को अधिक प्रभावी और सटीक तरीके से मापने के उद्देश्य से उठाया गया है। आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव में जीडीपी की गणना के लिए नए मापदंडों को लागू किया जाएगा, जिससे देश की आर्थिक स्थिति की अधिक सही तस्वीर मिल सकेगी।
वर्तमान में भारत में जीडीपी की गणना तीन प्रमुख विधियों के तहत होती है – उत्पादन विधि, व्यय विधि और आय विधि। हालांकि सरकार ने अब जीडीपी के निर्धारण के तरीके को और अधिक समर्पित बनाने के लिए डेटा संग्रहण और विश्लेषण की प्रक्रिया में सुधार करने की योजना बनाई है। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के विविधीकरण और डिजिटल परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
इस प्रस्ताव के तहत, खासकर सेवा क्षेत्र, निर्माण और कृषि क्षेत्र की उपस्थिति और उनके योगदान को अधिक प्रभावी तरीके से मापा जाएगा। इसके अलावा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की निवेश गतिविधियों को भी अधिक स्पष्ट रूप से आंकलन में लिया जाएगा। इससे उम्मीद है कि देश की आर्थिक विकास दर का अनुमान अधिक सटीक होगा और सरकार को अपनी नीतियों को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी।
यह प्रस्ताव हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया। अब यह प्रस्ताव आगे विचार के लिए नीति आयोग और अन्य संबंधित संस्थाओं के पास भेजा जाएगा।