देहरादून (उत्तराखंड):- उत्तराखंड के होनहार छात्र वैभव बिजल्वाण ने राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (RIMC) में सफलता हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। उल्लेखनीय है कि इस प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षा में पूरे देश से चुने गए छात्रों में उत्तराखंड से केवल वैभव का ही चयन हुआ है।
वैभव का परिवार देहरादून में निवास करता है लेकिन उनके पिता जगदंबा प्रसाद बिजल्वाण उत्तरकाशी के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में SDRF उत्तराखंड पुलिस की सी कंपनी में प्रभारी इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। उनकी मां निर्मल देहरादून स्थित एसएसपी कार्यालय के साइबर सेल में उपनिरीक्षक के पद पर तैनात हैं।
कठिन मेहनत और सही मार्गदर्शन का नतीजा
वैभव ने अपनी मेहनत और माता-पिता के सही मार्गदर्शन से यह सिद्ध किया कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए न केवल कठिन परिश्रम, बल्कि सही दिशा भी जरूरी होती है। 12 नवंबर 2012 को देहरादून के विद्या विहार फेज-I में जन्मे वैभव बचपन से ही फुटबॉल के प्रति गहरी रुचि रखते थे। उनका सपना पुर्तगाल की किसी नामी फुटबॉल अकादमी में दाखिला लेकर पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी बनने का था।
पिता के सुझाव ने बदली दिशा
फुटबॉल के प्रति जुनून को लेकर वैभव ने अपने पिता से चर्चा की। पिता ने उन्हें पढ़ाई में भी उत्कृष्टता हासिल करने का सुझाव दिया और RIMC के बारे में जानकारी दी। इसके बाद वैभव ने एकमात्र सीट के लिए पूरी मेहनत से तैयारी की और सफलता प्राप्त की। वैभव ने देहरादून के सेंट पैट्रिक अकादमी, क्लेमेंटाउन में 7वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान फुटबॉल प्रैक्टिस भी जारी रखी।
मां का योगदान और दिनचर्या
वैभव की मां ने उनकी तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बच्चे को इंग्लिश और सामान्य ज्ञान में मदद की और नियमित अभ्यास करवाया। वैभव ने अपनी दिनचर्या में पढ़ाई और फुटबॉल दोनों को शामिल किया और दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त की।
आत्मविश्वास और मेहनत का फल
वैभव ने न केवल RIMC की लिखित परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि इंटरव्यू में भी आत्मविश्वास के साथ सफलता प्राप्त की। SDRF के पुलिस महानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल और कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने वैभव और उनके परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वैभव की यह उपलब्धि उनके परिवार और SDRF के लिए गर्व की बात है।
RIMC की विशेषताएं
राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून में हर साल दो बार एडमिशन प्रक्रिया होती है—एक बार जुलाई में और दूसरी बार जनवरी में। पूरे देश से केवल 25 बच्चों का चयन होता है। सातवीं कक्षा के बाद होने वाली इस परीक्षा में चयन के लिए उम्र 13 वर्ष से कम होनी चाहिए। इस संस्थान में बच्चों को आर्मी ऑफिसर बनने के लिए तैयार किया जाता है। वैभव बिजल्वाण की सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा है।