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संपत्ति विवाद से बचाव का तरीका, वसीयत बनवाने का पूरा प्रोसेस जानें

नई दिल्ली:- भारत में संपत्ति विवादों को लेकर कोर्ट में चल रहे मामलों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। इन विवादों को टालने और भविष्य में कानूनी उलझनों से बचने के लिए वसीयत का होना बेहद जरूरी है। लेकिन भारत में इसे लेकर जागरूकता की कमी है। वसीयत न केवल संपत्ति का अधिकार तय करती है बल्कि यह परिवार के सदस्यों को आपस में विवाद करने से भी रोकती है। आइए विस्तार से जानते हैं कि वसीयत क्या है इसे लिखने और रजिस्टर कराने का पूरा प्रोसेस क्या है।

वसीयत क्यों जरूरी है?

वसीयत एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है जो यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति किसके पास जाएगी। वसीयत न होने पर संपत्ति का बंटवारा भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत होता है।

यदि एक परिवार में 5 सदस्य (पति, पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां) हैं और पति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी संपत्ति पर सभी चार सदस्यों का बराबर अधिकार होगा। लेकिन यदि बेटा अदालत में दावा करता है कि संपत्ति पर उसका विशेष अधिकार है, तो मामला लंबा खिंच सकता है।

वसीयत कैसे लिखें?

1.कागज पर लिखें:

वसीयत लिखने के लिए किसी विशेष कागज की जरूरत नहीं होती। आप इसे साधारण सफेद कागज पर भी लिख सकते हैं।

2.गवाहों की आवश्यकता:

वसीयत को वैध बनाने के लिए इसे दो गवाहों के सामने लिखा और हस्ताक्षरित किया जाना चाहिए।

3.रजिस्ट्रेशन:

वसीयत को रजिस्टर करना अनिवार्य नहीं है लेकिन यह भविष्य में इसे कानूनी विवाद से बचाने में मदद करता है। वसीयत का रजिस्ट्रेशन सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में कराया जा सकता है।

4.खर्च:

वसीयत लिखने और रजिस्टर कराने में बहुत अधिक खर्च नहीं आता। यह प्रक्रिया ₹500 से ₹2000 के बीच हो सकती है जो स्थान और रजिस्ट्रार कार्यालय पर निर्भर करती है।

वसीयत न होने पर क्या होता है?

यदि व्यक्ति ने वसीयत नहीं लिखी है तो उसकी संपत्ति का बंटवारा संबंधित धर्म के उत्तराधिकार कानूनों के आधार पर होता है। हिंदुओं के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 लागू होता है। इसमें संपत्ति का बंटवारा विधवा, बेटा, बेटी और माता-पिता के बीच समान रूप से होता है।

वसीयत बनवाने के फायदे

1.भविष्य के विवाद से बचाव:

वसीयत परिवार के सदस्यों के बीच विवाद की संभावना को समाप्त करती है।

2.पसंद के अनुसार संपत्ति का बंटवारा:

व्यक्ति अपनी संपत्ति को अपनी इच्छा के अनुसार बांट सकता है।

3.कानूनी सुरक्षा:

वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जिसे अदालत भी मान्यता देती है।

नई दिल्ली और देश के अन्य भागों में संपत्ति विवादों को देखते हुए वसीयत का महत्व बढ़ता जा रहा है। यह दस्तावेज न केवल कानूनी झंझटों से बचाव करता है बल्कि परिवार में शांति बनाए रखने में भी मदद करता है। अब समय आ गया है कि भारत में लोग वसीयत के महत्व को समझें और इसे बनाने में पहल करें।

 

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