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दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की दुखद विरासत

दक्षिण कोरिया(सियोल):-दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की घोषणा ने देश के इतिहास में एक और अध्याय जोड़ दिया है। राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की लेकिन व्यापक विरोध के बाद उन्हें अपने फैसले को वापस लेना पड़ा। यह घटना दक्षिण कोरिया के इतिहास में मार्शल लॉ की दुखद विरासत को याद दिलाती है। दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ का इतिहास 1948 से शुरू होता है जब देश के पहले राष्ट्रपति सिंगमैन री ने इसकी घोषणा की थी। इसके बाद 1961 में पार्क चुंग-ही ने मार्शल लॉ लगाया और 1980 में चुन डू-ह्वान ने इसका इस्तेमाल किया।

मार्शल लॉ के प्रभाव दक्षिण कोरिया के इतिहास में गहरे हैं। इसके कारण देश में लोकतंत्र की स्थापना में देरी हुई और राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। वर्तमान स्थिति में राष्ट्रपति यून सुक-योल के मार्शल लॉ लगाने के फैसले ने देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है और देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की दुखद विरासत एक ऐसा मुद्दा है जिस पर देश को गंभीरता से विचार करना चाहिए। राष्ट्रपति यून सुक-योल के मार्शल लॉ लगाने के फैसले ने देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है और यह दिखाता है कि देश की जनता लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए तैयार है।

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