आक (अर्क) का पौधा आयुर्वेदिक औषधियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है लेकिन इसका उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आक के पौधे को शुष्क और ऊसर भूमि में प्रायः देखा जा सकता है। इस पौधे को मदार, मंदार, और अर्क भी कहा जाता है। इसके विभिन्न अंगों में औषधीय गुण होते हैं लेकिन इसे अत्यधिक मात्रा में सेवन करना हानिकारक हो सकता है।
आक के पौधे की जड़, तना, और दूध में मौजूद रासायनिक तत्वों जैसे एमाईरिन, गिग्नटिओल, केलोट्रोपिओल, ट्रिप्सिन, और केलोटोक्सिन शरीर पर प्रभाव डाल सकते हैं। इसका दूध विषैला होता है और अधिक सेवन से उलटी, दस्त, और अन्य गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
आक के पौधे के फायदे:
1.शुगर और पेट की समस्याएं: आक के पत्तों को उल्टा कर के पैर के तलवे पर लगाने से शुगर लेवल सामान्य हो सकता है और बाहर निकला पेट भी कम हो जाता है।
2.घाव और सूजन: आक के पत्तों को मीठे तेल में जलाकर अंडकोश की सूजन पर बांधने से सूजन कम होती है। वहीं कड़वे तेल में पत्तों को जलाकर गर्मी के घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होते हैं।
3.खांसी और सिर दर्द: आक की जड़ के चूर्ण में काली मिर्च मिलाकर गोलियां बना कर खाने से खांसी दूर होती है। वहीं आक की जड़ की राख और कड़ुआ तेल को सिर पर लगाने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
4.गठिया और बवासीर: आक की जड़ को विशेष रूप से गठिया और बवासीर के इलाज में उपयोगी माना जाता है।
आक के पौधे के हानिकारक प्रभाव:
विषैला दूध: आक के पौधे का दूध आंखों में जाने से नुकसान कर सकता है। इसे कभी भी आंखों के संपर्क में नहीं लाना चाहिए।
अधिक मात्रा में सेवन: आक की जड़ और तने की छाल का अधिक सेवन आंतों में जलन, उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
सावधानी:
आक के पौधे का प्रयोग चतुर वैद्य की निगरानी में करना चाहिए क्योंकि गलत तरीके से या अत्यधिक सेवन से हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।
आक का पौधा जहां एक ओर आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार के लिए उपयोगी माना जाता है वहीं इसके विषैले प्रभावों से बचने के लिए इसका सही तरीके से उपयोग करना अत्यंत आवश्यक है।