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अरहर के पत्तों से बवासीर का उपचार, जानें आयुर्वेदिक तरीके और लाभ

आजकल बवासीर (पाइल्स) एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जो अस्वस्थ जीवनशैली और खराब खानपान की वजह से तेजी से फैल रही है। यह समस्या मुख्य रूप से कब्ज शौच के दौरान दर्द और सूजन के कारण होती है। हालांकि आयुर्वेद में इस समस्या का इलाज बहुत पहले से मौजूद है और अरहर के पत्तों को बवासीर के इलाज में प्रभावी माना गया है।

अरहर के पत्तों के लाभ:

बवासीर से बचाव और राहत:

अरहर के पत्तों में प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखते हैं। पत्तों का सेवन कब्ज को रोकने में मदद करता है जो बवासीर की मुख्य वजह है। फाइबर आंतों की सफाई में मदद करता है और बवासीर की समस्या को कम करता है।

खूनी बवासीर में उपयोगी:

बवासीर के लिए अरहर के पत्तों को देसी घी में भूनकर खाना लाभकारी होता है। यह शौच के दौरान खून आना रोकता है और दर्द में राहत प्रदान करता है।

मस्सों का उपचार:

शौच नली के पास मस्सों की समस्या में अरहर के पत्तों को पीसकर मस्सों पर लगाएं। इसे कुछ समय तक छोड़ने के बाद गुनगुने पानी से धो लें। यह प्रक्रिया दिन में 3-4 बार करने से मस्से धीरे-धीरे गिर जाते हैं।

संक्रमण का उपचार:

अरहर के पत्तों में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो शौच नली के संक्रमण को दूर करते हैं और सूजन को कम करते हैं।

अरहर के पत्तों का सेवन कैसे करें?

कच्चा चबाकर: रोज सुबह खाली पेट 2-3 ताजे अरहर के पत्ते चबाएं।

पत्तों का पेस्ट: पत्तों को पीसकर मस्सों पर लगाएं।

देसी घी के साथ: खूनी बवासीर के लिए पत्तों को देसी घी में भूनकर खाएं।

अतिरिक्त सुझाव:

• अधिक पानी पीने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।

• फाइबर युक्त आहार (फल, सब्जियां, और साबुत अनाज) का सेवन बढ़ाएं।

• मसालेदार और तला-भुना भोजन कम करें।

अरहर के पत्तों का उपयोग बवासीर जैसी समस्याओं के लिए एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। यदि इसका नियमित सेवन किया जाए और सही तरीके से इसका उपयोग किया जाए तो यह बवासीर से राहत दिलाने में मदद कर सकता है और पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है।

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