प्रयागराज (उत्तर प्रदेश):- अगर सिविल लाइंस की जमीन लेकर बदले में आपको करछना में जमीन दे दी जाए, तो कैसा लगेगा? प्रयागराज डीएम से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह सवाल करछना पावर प्लांट जमीन अधिग्रहण मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा। हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार को डीएम रविंद्र कुमार मंदर व अन्य अधिकारी हाजिर हुए। उन्होंने हलफनामा दिया कि किसानों की सहमति से उनकी जमीन दूसरी जगह शिफ्ट की गई है। कोर्ट ने हलफनामे पर याची को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। साथ ही अधिकारियों को व्यक्तिगत हाजिरी से राहत देते हुए अगली तिथि 24 अक्तूबर नियत की है।
न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की कोर्ट रामहित मिश्रा व 29 अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। बता दें कि मामले में कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी प्रयागराज व अधिशासी अभियंता वितरण एवं सर्कुलेशन डिवीजन विद्युत विभाग प्रयागराज को तलब किया था।
मामले के अनुसार बसपा शासनकाल (2007-12) में पावर प्लांट के लिए कचरी, कचरा, देवरी कला, गढ़वा कला, देहली, पनासा समेत कुल आठ गांव के 1300 किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई थी। पावर प्लांट लगाने की जिम्मेदारी जेपी समूह को दी गई। ज्यादातर किसानों को जमीन का भुगतान कर दिया गया। कुछ किसानों ने मुआवजा नहीं लिया।