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उच्चतम न्यायालय का बड़ा फैसला: जांच प्रभावित न हो, इसलिए उच्च संवैधानिक अधिकारी के बयान पर उठाए सवाल

नई दिल्ली :-उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण मामले में अपना फैसला सुनाया है जिसमें उसने उच्च संवैधानिक अधिकारी के बयान पर सवाल उठाए हैं। न्यायालय ने कहा है कि जब जांच चल रही थी तब ऐसे बयान नहीं देने चाहिए थे जो जनता की भावनाओं को प्रभावित कर सकते थे।

मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी (SIT) की जांच पर भी उच्चतम न्यायालयने सवाल उठाए हैं। न्यायालय ने कहा है कि एसआईटी (SIT) की जांच जारी रखी जाए या फिर स्वतंत्र संस्था से जांच कराई जाए इस पर फैसला करने के लिए सॉलिसिटर जनरल की सहायता ली जाएगी।

इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा है कि नमूने में सोयाबीन तेल हो सकता है इसका मतलब यह नहीं है कि मछली का तेल उपयोग किया गया है। न्यायालय ने कहा है कि आप सप्लायर पर शक कर सकते हैं लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह तेल लड्डू बनाने में उपयोग किया गया था।

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि उच्च संवैधानिक अधिकारियों को अपने बयानों में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि जांच प्रभावित न हो और जनता की भावनाएं भी नहीं आहत हों।

*मामले की पृष्ठभूमि*

इस मामले में उच्च संवैधानिक अधिकारी द्वारा दिए गए बयान पर सवाल उठाए गए थे जिसमें उन्होंने लड्डू में मछली के तेल के उपयोग का आरोप लगाया था। इस बयान के बाद जांच चल रही थी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस पर सवाल उठाए हैं।

*उच्चतम न्यायालयका निर्णय*

उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि:

– उच्च संवैधानिक अधिकारी के बयान से जांच प्रभावित हो सकती है।

– एसआईटी(SIT) की जांच जारी रखी जाए या फिर स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए इस पर फैसला करने के लिए सॉलिसिटर जनरल की सहायता ली जाएगी।

– नमूने में सोयाबीन तेल हो सकता है इसका मतलब यह नहीं है कि मछली का तेल उपयोग किया गया है।

इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि उच्चतम न्यायालय उच्च संवैधानिक अधिकारियों की जिम्मेदारी को लेकर सख्त है और जांच प्रभावित न हो इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

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