नई दिल्ली:- आज के आधुनिक समय में कार रखना ज्यादातर लोगों के लिए एक जरूरत बन गया है लेकिन हममें से ज्यादातर लोग एक मैकेनिक की तरह यांत्रिक और तकनीकी रूप से समझदार नहीं हो सकते हैं।
इसलिए हमारा उन पर निर्भर रहना स्वाभाविक है। चाहे वे अपना काम स्वयं कर रहे हों या किसी सेवा केंद्र पर। कई बार जानकारी के अभाव में हम धोखा खा जाते हैं। आगे हम आपको ऐसी ही कुछ बातों की जानकारी और सलाह देने जा रहे हैं, ताकि अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हो तो आप जेब ढीली होने से बच सकें।
कई बार मैकेनिक या सर्विस सेंटर ग्राहक को अपने वाहन की बेहतर परफॉर्मेंस के लिए हर 15,000 -20,000 किलोमीटर पर इंजन को डी कार्बोनाइज करने की सलाह देते हैं। जबकि मौजूदा वाहनों के इंजन काफी उन्नत होते हैं जिसके कारण उन्हें लगभग 50,000 किलोमीटर तक डीकार्बोनाइज करने की आवश्यकता नहीं होती है। वहीं ऐसा करने पर आपसे करीब 1,800 रुपये चार्ज लगेंगे। इसके अलावा इंजन ड्रेसिंग की भी सलाह दी जाती है, जिसमें इंजन को ऊपर से स्प्रे से साफ किया जाता है और ग्राहक से 800 रुपये तक वसूला जाता है।
जब भी आप अपने वाहन की सर्विसिंग कराने जाएं तो उन हिस्सों को नोट कर लें जिन्हें बदलने की जरूरत है और भुगतान करते समय बिल पर बदले गए हिस्सों को देखने के लिए कहें। चूंकि वाहन में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स के खराब होने की एक समय सीमा होती है इसलिए सर्विस के दौरान उन्हें हर बार बदलने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन कई बार मैकेनिक या सर्विस सेंटर द्वारा इसमें हेराफेरी की जाती है और आपसे कीमत वसूल की जाती है। ये हिस्से एयर फिल्टर ऑयल फिल्टर ब्रेक पैड हो सकते हैं।
यदि आवश्यक हो तो इसे करवाना ठीक है लेकिन कभी कभी ग्राहकों को स्थिति ठीक होने के बाद भी इसे करवाने की सलाह दी जाती है। ताकि उनसे अतिरिक्त भुगतान वसूला जा सके। जो करीब 1,500 रुपये है। यदि आप अपनी कार की देखभाल करते हैं तो आपको इसकी कम आवश्यकता होगी।
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