नई दिल्ली: देश में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का पता लगाने और उसे रोकने के लिए मानदंडों को और सख्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ तैयार करने की घोषणा की है। सूत्रों के मुताबिक, ICAI कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का पता लगाने के नियमों को नवंबर के अंत तक अंतिम रूप दे सकता है।
इस दस्तावेज़ में धोखाधड़ी की पहचान, रिपोर्टिंग और उससे निपटने के लिए मौजूदा प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश शामिल होने की उम्मीद है। यह पहल हाल के वर्षों में सामने आए हाई-प्रोफाइल वित्तीय घोटालों की पृष्ठभूमि में आई है, जिसने कॉर्पोरेट प्रशासन और ऑडिटिंग प्रथाओं में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
ICAI के इस दस्तावेज़ की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें ‘कंपनी अधिनियम, 2013’ (Companies Act, 2013) में संभावित बदलावों के लिए भी प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं। इन बदलावों का उद्देश्य ऑडिटर्स की ज़िम्मेदारी को बढ़ाना, धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग की समयसीमा को स्पष्ट करना और कॉर्पोरेट जगत में अधिक पारदर्शिता लाना हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन कड़े मानदंडों के लागू होने से न केवल ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि कंपनियों के भीतर वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाना भी पहले से कहीं अधिक आसान हो जाएगा। यह कदम निवेशकों के विश्वास को बहाल करने और भारतीय पूंजी बाजार की अखंडता को मजबूत करने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ICAI का यह दस्तावेज़ कॉर्पोरेट प्रशासन को सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम प्रयास है और उद्योग जगत तथा कानूनी विशेषज्ञों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि अंतिम रूप दिए गए मानदंड और प्रस्तावित कानूनी बदलाव क्या होंगे।






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