हरियाणा :- हरियाणा में IPS अधिकारी पूरन कुमार के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर विवाद और सियासी खींचतान बढ़ गई है। पूरन कुमार के अंतिम संस्कार में देरी का मुख्य कारण उनके साले और आम आदमी पार्टी के विधायक अमित रतन कोटफत्ता की जिद बताई जा रही है। विधायक कोटफत्ता ने डीजीपी और संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। उनकी मांगों को देखते हुए हरियाणा मंत्रिमंडल ने मामले की गंभीरता से समीक्षा करने का निर्णय लिया है।
मंत्रीमंडल ने कहा कि कानून का पालन सबसे जरूरी है और सभी पक्षों की सुनवाई के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इसके साथ ही प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार प्रक्रिया किसी भी दबाव के बिना पूरी पारदर्शिता के साथ संपन्न होगी। यह मामला राज्य की राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि इसमें कानून व्यवस्था, प्रशासनिक जवाबदेही और राजनीतिक दबाव तीनों पहलू जुड़ गए हैं।
स्थानीय लोगों और पुलिस अधिकारियों के बीच भी असमंजस की स्थिति है। परिवार और विधायक की मांग के बीच संतुलन बनाने की कोशिश जारी है ताकि संवेदनशील परिस्थितियों में किसी तरह की अनावश्यक विवादास्पद स्थिति न पैदा हो। पुलिस प्रशासन ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मामले को जल्दी से जल्दी और न्यायसंगत तरीके से निपटाएं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला केवल प्रशासनिक मुद्दा नहीं बल्कि हरियाणा की सियासत में भी बड़ा असर डाल सकता है। सभी की निगाहें मंत्रिमंडल की अगली कार्रवाई और विधायक कोटफत्ता की मांगों पर टिकी हैं। राज्य सरकार इस मामले को संभालने के लिए सभी कानूनी और संवैधानिक विकल्पों का उपयोग कर रही है ताकि न्याय और प्रशासनिक शांति दोनों सुनिश्चित हो सकें।






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