मुंबई (महाराष्ट्र):- विश्व के प्रमुख आर्थिक केंद्र अमेरिका और चीन के बीच जारी बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजार में हलचल मचा दी है। इस स्थिति में निवेशक सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। इसी कड़ी में सोने ने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 के अंत तक संभावित ब्याज दरों में कटौती की चर्चा ने सोने की मांग को और बढ़ा दिया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमत ने हाल ही में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार सोने की कीमत लगभग चार हजार एक सौ पचासी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई है। यह उछाल निवेशकों और आर्थिक विश्लेषकों के लिए महत्वपूर्ण संकेत है। खासकर जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ रही है और मुद्रास्फीति की दर में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
सोने की कीमतों में यह तेजी केवल आर्थिक कारकों तक सीमित नहीं है। राजनीतिक तनाव, विदेशी मुद्रा बाजार की गतिविधियां और निवेशकों की भावनाएं भी इस उछाल में योगदान दे रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को सोने में निवेश करने का यह समय लाभकारी साबित हो सकता है। इसके अलावा सोने की स्थिरता और जोखिम रहित निवेश के तौर पर इसकी विश्वसनीयता भी निवेशकों को आकर्षित कर रही है।
हालांकि कुछ विशेषज्ञ भविष्यवाणी कर रहे हैं कि अगर वैश्विक आर्थिक तनाव बढ़ता है और ब्याज दरों में कटौती होती है, तो सोने की कीमत और भी ऊंचाईयों को छू सकती है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे बाजार की गतिविधियों पर नजर रखें और समझदारी से निर्णय लें। सोने के बाजार में यह उछाल केवल निवेशकों के लिए ही नहीं बल्कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत प्रस्तुत करता है।
इस समय सोने की बढ़ती कीमतें आर्थिक अस्थिरता में भी निवेशकों को आश्वासन देती हैं और सुरक्षित निवेश के विकल्प की तरह सामने आ रही हैं।






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