नई दिल्ली :- लेह में हाल ही में हुई हिंसा के बाद पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया है। अदालत ने दोनों पक्षों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि वांगचुक की गिरफ्तारी किन आधारों पर की गई और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का क्या औचित्य है।
सोनम वांगचुक जो हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा सुधार के लिए प्रसिद्ध हैं उन्हें लेह हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है और कई सामाजिक संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
सुप्रीम कोर्ट में वांगचुक की पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति को केवल असहमति जताने के कारण गिरफ्तार करना लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित की है।
वहीं लद्दाख प्रशासन का कहना है कि वांगचुक पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं और उनकी गतिविधियों से क्षेत्र में कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती थी। दूसरी ओर वांगचुक के समर्थकों का दावा है कि उन्हें शांतिपूर्ण आंदोलन करने के बावजूद निशाना बनाया गया है।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं जहां यह तय होगा कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी वैध थी या मनमानी कार्रवाई का हिस्सा। यह मामला न केवल वांगचुक के अधिकारों से जुड़ा है बल्कि यह देश में नागरिक स्वतंत्रता की सीमाओं को भी परिभाषित करेगा।






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