नई दिल्ली:- भारत में वाणिज्यिक न्यायाधिकरणों में विवादों के कारण खरबों रुपये फंसे हुए हैं लेकिन सरकार के सुधार एजेंडा में इस मुद्दे को अनदेखा किया जा रहा है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि देश में प्रत्यक्ष कर विवादों में 11.83 लाख करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।
विवादों की स्थिति
वित्त मंत्री के अनुसार 71,453 मामले विभिन्न न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में लंबित हैं। इनमें से 6,730 मामले उच्चतम न्यायालय में 41,548 मामले उच्च न्यायालयों में और 23,175 मामले न्यायाधिकरणों में लंबित हैं। इन विवादों में फंसे रुपये की राशि क्रमशः 25,708.2 करोड़ रुपये, 4.9 लाख करोड़ रुपये और 6.7 लाख करोड़ रुपये है।
अप्रत्यक्ष कर विवाद
अप्रत्यक्ष कर विवादों के मामले में भी स्थिति चिंताजनक है। जनवरी 2025 तक, 82,011 मामले लंबित थे जिनमें 5.76 लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई थी। इनमें से 2,571 मामले उच्चतम न्यायालय में 24,184 मामले उच्च न्यायालयों में और 55,256 मामले सीईएसटीएटी में लंबित थे।
सरकार की पहल
सरकार ने विवादों को सुलझाने के लिए विवद से विश्वास जैसी योजनाएं शुरू की हैं। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इन योजनाओं के बावजूद विवादों की संख्या को कम करने के लिए और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
आगे की राह
वित्तीय विशेषज्ञों का सुझाव है कि विवादों को सुलझाने के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तरीकों को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा न्यायिक प्रक्रिया को डिजिटल बनाने और उच्च मूल्य के मामलों के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करने से भी मदद मिल सकती है।






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