लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बांग्लादेश से आए शरणार्थियों का बड़ा समुदाय बसे हुए हैं। यह लगभग 2500 परिवार हैं जिनमें कुल मिलाकर 12 हजार लोग शामिल हैं। ये लोग पिछले कई सालों से भारत में स्थायी जीवन की उम्मीद लिए हुए हैं। नागरिकता पाने की उनकी प्रक्रिया अभी तक अधूरी है और कई लोग लंबित आवेदन की वजह से परेशान हैं।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार लगभग 800 लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है। लेकिन आवेदन करने के बाद भी उन्हें दस्तावेजों की कमी के कारण लंबित रखा गया है। कई शरणार्थियों ने बताया कि उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेज जमा किए थे, लेकिन सरकारी प्रक्रिया में देरी के कारण उनका आवेदन लंबित हैं। इस बीच केवल एक शरणार्थी को ही अब तक नागरिकता मिली है।
स्थानीय लोग और समाजिक संगठन इन शरणार्थियों के लिए मदद की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि लंबे समय से यहां रह रहे लोग समाज में योगदान दे रहे हैं। बच्चे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं और वयस्क लोग काम-काज कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। बावजूद इसके उन्हें भारत की नागरिकता मिलने में इतनी बाधाएं आ रही हैं।
शरणार्थियों के अनुसार वे चाहते हैं कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से देखे। उन्हें नागरिकता मिलने से उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी और वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि दस्तावेज़ों के मामले में पारदर्शिता और तेज प्रक्रिया से ही इस समस्या का समाधान संभव है।
स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि लंबित नागरिकता के आवेदन जल्द से जल्द निपटें। इससे न केवल शरणार्थियों का जीवन बेहतर होगा बल्कि उनके द्वारा समाज में किए जा रहे योगदान की भी सराहना होगी। भारत की नागरिकता उनके लिए जीवन की स्थिरता और सुरक्षा का प्रतीक है।






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