लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश में राशन घोटाले ने एक बार फिर लोगों का ध्यान खींचा है। थार से संचालित तंत्र के जरिए गरीबों का राशन हड़पने की खबरें सामने आई हैं। आम जनता की उम्मीदें सुरक्षा और राहत की होती हैं लेकिन भ्रष्ट तंत्र में ये उम्मीदें टूटती दिखीं। कई लोग बताते हैं कि भ्रष्टाचार तंत्र में इस तरह फैल चुका है जैसे मशीन में तेल का लगातार बहाव।
गांव और शहरों में राशन की कमी और वितरण में गड़बड़ी से गरीब परिवारों का जीवन प्रभावित हो रहा है। अब सवाल यह है कि जिम्मेदारी तय कौन करेगा और इस लूट पर रोक कब लगेगी। बरेली और संभल जैसे जिलों में मामले उजागर हुए हैं और स्थानीय लोग इस घोटाले से नाराज हैं।
सवाल यह भी उठता है कि COCO मॉडल के पेट्रोल पंपों की तरह राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता क्यों नहीं है। गरीबों के हक पर चल रही यह लूट उनका जीवन कठिन बना रही है और समाज में भरोसे की नींव हिला रही है। लोग अब सिर्फ वादों से संतुष्ट नहीं हैं बल्कि कार्रवाई की उम्मीद रखते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो यह घोटाला और बड़ा रूप ले सकता है। राशन वितरण तंत्र में सुधार और भ्रष्टाचार रोकने के लिए कड़े नियम और सख्त निगरानी की जरूरत है। जनता यह देखना चाहती है कि सरकार उनके अधिकार और जीवन सुरक्षा के लिए केवल शब्द नहीं बल्कि वास्तविक कदम उठाती है।
यूपी में राशन घोटाले ने यह साफ कर दिया है कि व्यवस्था में बदलाव अनिवार्य है। अब वक्त आ गया है कि सरकार गरीबों की सुरक्षा और उनके हक के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए। आम जनता का धैर्य अब सीमित है और कार्रवाई की प्रतीक्षा बढ़ती जा रही है।






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