मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश):- साइबर ठगी में जिस बात का अंदेशा था वही कहानी सामने आई। दिल्ली में बैठकर नाइजीरियन गिरोह तमाम हथकंडे अपनाकर लोगों के खाते खाली कर रहा है। ठगी की रकम ठिकाने लगाने के लिए दस प्रतिशत लाभ का झांसा दे खुद खातों का संचालन करने वाला गिरोह बेहद शातिर हैं। कई भाषाओं की जानकारी रखने वाला गिरोह लाेगों को आसानी से अपनी बातों में फंसाता है और खाते खाली कर देता हैं। मुरादाबाद की शिक्षिका से 94 लाख ठगी मामले में नाइजीरियन और दो नेपाली युवतियों की गिरफ्तारी के बाद चौंकाने वाले राजफाश हुए।
गिरोह के देश के 18 राज्यों में तार फैले होने की बात सामने आई है। ठगी का मास्टर माइंड नाइजीरियन विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर भी युवकों से ठगी करता था। मुरादाबाद की शिक्षिका से इसने ही विदेशी दूल्हा बनकर खुद को डाक्टर बताकर फोन पर बात की थी।
2020 से शुरू की ठगी, बनाया गिरोह
नाइजीरिया निवासी छिनवेओके एनमनुएल कनु ने वर्ष 2020 से ठगी करनी शुरू कर दी। जैन पार्क उत्तम नगर वेस्ट दिल्ली में ठिकाना बनाया। इसने सबसे पहले अपना फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड दिल्ली के पते पर बनाया। फिर दिल्ली में रहकर पढ़ाई करने वाली नेपाली निवासी निर्मला से संपर्क किया और उसका फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाकर उसका दिल्ली, नोएडा समेत कई शहरों में 20 से अधिक बैंक खाते खुलवा लिए।
इसी बीच मणिपुर निवासी सुनीता को भी गिरोह में शामिल कर लिया। दिल्ली निवासी नवी के नाम पर भी बैंक खाते खुलवा लिए। सुनीता कभी कस्टम अधिकारी तो कभी पुलिस अधिकारी बनकर ठगे जाने वाले लोगों से फोन पर बात करती थी। इसी बीच निर्मला ने दो साल पहले नाइजीरियन की मुलाकात नेपाली संगीता और ममता से कराई।






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