नई दिल्ली:- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हाल ही में एक महत्वपूर्ण गिरावट आई है जो $2.3 अरब की कमी के साथ $700.2 अरब पर पहुंच गया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों से मिली है जो 26 सितंबर को समाप्त सप्ताह के लिए है।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के कारण
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में कमी है जो $4.393 अरब घटकर $581.757 अरब हो गई हैं। यह कमी मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अन्य प्रमुख मुद्राओं के मूल्य में उतार-चढ़ाव के कारण हुई है।
स्वर्ण भंडार में वृद्धि
हालांकि, इस गिरावट के बावजूद भारत का स्वर्ण भंडार बढ़कर $95.017 अरब हो गया है जो $2.238 अरब की वृद्धि को दर्शाता है। स्वर्ण भंडार में यह वृद्धि आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव के समय में एक महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में देखी जा रही है।
आर्थिक प्रभाव
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि देश का मजबूत आर्थिक आधार और उच्च विदेशी मुद्रा भंडार इसे एक स्थिर स्थिति में रखता है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी पर्याप्त है और आयात को कई महीनों तक समर्थन देने में सक्षम है।
आरबीआई की भूमिका
भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करता है ताकि रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित किया जा सके और मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके। आरबीआई की यह रणनीति देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करती है।






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