देश में छोटे बच्चों की सेहत को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम चेतावनी जारी की है। मंत्रालय ने कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह का कफ सिरप नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के कुछ मामलों के बाद जांच की गई थी। इस जांच में पाया गया कि कफ सिरप के नमूनों में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे खतरनाक रसायन मौजूद नहीं थे। इसके बावजूद मंत्रालय ने सावधानी बरतने की सलाह दी है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की त्रासदी को रोका जा सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों का शरीर दवाओं को पूरी तरह सहन नहीं कर पाता। इस उम्र में दवाओं का असर तेजी से बढ़ सकता है जिससे सांस लेने में तकलीफ और अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टरों की सलाह के बिना किसी भी दवा का प्रयोग करना खतरनाक साबित हो सकता है। मंत्रालय ने सभी चिकित्सकों और अभिभावकों से अपील की है कि वे बच्चों के उपचार में घरेलू उपाय या सुरक्षित विकल्प अपनाएं।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी फार्मा कंपनियों को अब कफ सिरप के निर्माण और वितरण में सख्त मानक अपनाने होंगे। प्रत्येक बैच की लैब जांच अनिवार्य की गई है ताकि किसी भी मिलावट या गलती को समय रहते पकड़ा जा सके। यह कदम देशभर में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक विश्वसनीय बनाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।






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