आगरा (उत्तर प्रदेश):- आगरा को दुनिया में ताजमहल के नाम से जाना जाता है लेकिन इस शहर की पहचान केवल इसी अद्भुत इमारत से नहीं जुड़ी है बल्कि यहां मौजूद एक और ऐतिहासिक रत्न है जिसे लोग प्यार से बेबी ताज कहते हैं। यह मकबरा इत्माद-उद-दौला का है जिसे नूरजहां ने अपने पिता मिर्जा गियास बेग और माता असमत बेगम की याद में बनवाया था। यह स्मारक ताजमहल से लगभग तीन दशक पहले बनाया गया था और इसे मुगल स्थापत्य कला का अनमोल नमूना माना जाता है।
इत्माद-उद-दौला का मकबरा यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसकी सुंदरता सफेद संगमरमर में की गई बारीक नक्काशी में झलकती है। इसमें बहुमूल्य पत्थरों से जड़ाई की गई कलाकारी देखने लायक है। मकबरे की दीवारों पर पुष्पों की आकृतियां और जालीदार खिड़कियां इसे और भी मनमोहक बनाती हैं। यह पहला ऐसा मुगल स्मारक था जिसमें संगमरमर का प्रयोग लाल पत्थर की जगह किया गया और यही शैली आगे चलकर ताजमहल में और अधिक भव्य रूप में दिखाई दी।
इतिहासकारों का मानना है कि इस मकबरे ने ताजमहल की रचना को प्रेरणा दी थी क्योंकि इसकी वास्तुशैली में वही संतुलन और सौंदर्य झलकता है जो बाद में शाहजहां के निर्माण में दिखाई देता है। आगरा आने वाले पर्यटक जब इस स्थान को देखते हैं तो उन्हें मुगल युग की वह कलात्मक दृष्टि समझ में आती है जो हर इमारत को एक कहानी बना देती थी।
बेबी ताज केवल एक मकबरा नहीं बल्कि मुगल कला की उस आरंभिक झलक का प्रतीक है जिसने भारतीय इतिहास को अमर बना दिया। यह स्मारक आज भी नूरजहां के प्रेम और अपने माता-पिता के प्रति श्रद्धा की सजीव गवाही देता है।






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