वाशिंगटन (अमेरिका):- अमेरिकी राजनीति में अपने तीखे बयानों के लिए मशहूर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उनका निशाना यूरोपीय देश स्पेन बना है। ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि स्पेन को नाटो से बाहर निकाल देना चाहिए क्योंकि वह गठबंधन की जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं ले रहा। उनके इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई बहस छेड़ दी है।
ट्रंप पिछले कुछ समय से लगातार नाटो देशों पर दबाव बना रहे हैं कि वे अपने सैन्य खर्चों में इजाफा करें। उनका तर्क है कि अमेरिका नाटो की सुरक्षा का सबसे बड़ा बोझ अकेले उठाता है जबकि बाकी सदस्य देश अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूरी नहीं करते। ट्रंप ने कहा कि स्पेन जैसे देशों को सुरक्षा का लाभ तो चाहिए लेकिन योगदान देने के मामले में वे पीछे रहते हैं और यह अमेरिका के साथ अन्याय है।
इस बयान के बाद स्पेन और कई यूरोपीय देशों में नाराजगी की लहर फैल गई है। स्पेन ने कहा है कि वह नाटो का जिम्मेदार सदस्य है और उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना गलत है। वहीं नाटो के अन्य सदस्य देशों ने भी संयम बरतने की अपील की है ताकि गठबंधन की एकता प्रभावित न हो।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान आगामी अमेरिकी चुनावों से पहले की रणनीति का हिस्सा है जिसमें वे घरेलू मतदाताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अमेरिका के हितों को सबसे ऊपर रखते हैं। लेकिन इस तरह के बयान नाटो की स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकते हैं और यूरोप में अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या ट्रंप अपने इस बयान पर कायम रहते हैं या कूटनीतिक दबाव के आगे नरमी दिखाते हैं।






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