नई दिल्ली :- दिल्ली में छठ पूजा के अवसर पर इस बार यमुना नदी की तस्वीर बदली हुई दिखेगी। हर साल जब श्रद्धालु सूर्य देव की आराधना करने यमुना घाटों पर पहुंचते हैं तो झाग और प्रदूषण की समस्या सबसे बड़ी चिंता का कारण बन जाती है। इस बार दिल्ली सरकार ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है ताकि श्रद्धालुओं को साफ और सुरक्षित वातावरण मिल सके।
सरकार ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए यमुना नदी का विस्तृत सर्वे कराने की योजना बनाई है। इस सर्वे में लगभग अड़तालीस किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया जाएगा और गाद की स्थिति का आकलन होगा। गाद के कारण पानी का बहाव धीमा हो जाता है और प्रदूषण बढ़ता है। इसके अलावा नदी किनारे अतिक्रमण भी समस्या को और गंभीर बनाता है। इन दोनों चुनौतियों से निपटने के लिए यह सर्वे एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इसके साथ ही नजफगढ़ ड्रेन की भी जांच होगी क्योंकि यमुना में सबसे अधिक गंदगी इसी रास्ते से पहुंचती है। इस ड्रेन की सफाई और निगरानी से यमुना में प्रदूषण का स्तर कम करने में मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि जब तक गाद और ड्रेन की समस्या पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक यमुना को स्वच्छ बनाना संभव नहीं है।
छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि पर्यावरण से जुड़ा संदेश भी है। लाखों लोग जब घाट पर पहुंचते हैं तो यह सामूहिक जिम्मेदारी बन जाती है कि नदी की सफाई बनी रहे। सरकार ने कदम उठाया है लेकिन जनता की भागीदारी भी उतनी ही आवश्यक है। यदि सभी लोग प्रदूषण रोकने का संकल्प लें तो आने वाले समय में यमुना सचमुच निर्मल दिखाई देगी।
इस बार की छठ पूजा यमुना के लिए नई उम्मीद लेकर आई है और श्रद्धालुओं के लिए यह अनुभव पहले से कहीं अधिक सुखद होगा।






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