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Dastak Hindustan - चुनाव से पहले सरकारी खजाने की खुलकर बयानी, 8 राज्यों में 67,928 करोड़ रुपये खर्च

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चुनाव से पहले सरकारी खजाने की खुलकर बयानी, 8 राज्यों में 67,928 करोड़ रुपये खर्च

नई दिल्ली: भारत में हाल के वर्षों में हुए आठ प्रमुख राज्य चुनावों में सरकारों ने चुनाव से पहले जमकर पैसे खर्च किए हैं। इन चुनावों में सरकारों ने कुल 67,928 करोड़ रुपये के जनहितकारी योजनाओं पर खर्च किए हैं। यह राशि न केवल एक बड़ी संख्या है बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकारें चुनावों में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।

महाराष्ट्र और बिहार में सबसे ज्यादा खर्च

महाराष्ट्र और बिहार उन दो राज्यों में से हैं जहां सरकारों ने चुनाव से पहले सबसे ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने 23,300 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि बिहार में वर्तमान सरकार ने 19,333 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। इन दोनों राज्यों में सरकारों ने विभिन्न जनहितकारी योजनाओं के तहत पैसे बांटे हैं।

महिला केंद्रित योजनाओं पर जोर

इन आठ राज्यों में हुए चुनावों में सरकारों ने महिला केंद्रित योजनाओं पर विशेष जोर दिया है। महाराष्ट्र की ‘माझी लाडकी बहिन’ योजना, बिहार की ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’, और मध्य प्रदेश की ‘लाडली बहना’ योजना कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिन पर सरकारों ने जमकर पैसे खर्च किए हैं। इन योजनाओं के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।

विपक्ष का आरोप

विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकारें चुनाव से पहले इस तरह के खर्च के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। उनका कहना है कि यह एक तरह की “संस्थागत रिश्वत” है जो चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करती है। विपक्ष का यह भी आरोप है कि सरकारें अपने खजाने का उपयोग करके विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं।

आर्थिक प्रभाव

सरकारों द्वारा चुनाव से पहले किया गया यह खर्च न केवल आर्थिक रूप से प्रभावशाली है बल्कि इसके दीर्घकालिक प्रभाव भी हो सकते हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के खर्च से राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है भविष्य में विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है।

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