पटना (बिहार):- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस बीच उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने कहा कि यह छल है और धोखा है। उनके इस बयान ने गठबंधन के भीतर हलचल पैदा कर दी है और सभी दलों की नजरें अब उनके अगले कदम पर टिकी हैं। कुशवाहा का यह ट्वीट एनडीए की रणनीति और प्रत्याशियों के चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक जल्द ही होने वाली है। बैठक में यह तय किया जाएगा कि प्रत्येक सीट पर किस प्रत्याशी को उतारा जाएगा। सीट शेयरिंग को लेकर पार्टी नेताओं के बीच लंबी चर्चा चल रही है। कुशवाहा की प्रतिक्रिया के बाद एनडीए के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में इस मसले पर विस्तार से विचार किया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि कुशवाहा का यह बयान केवल व्यक्तिगत असंतोष नहीं बल्कि गठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखने की चुनौती को भी दर्शाता है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक यह भी कह रहे हैं कि बिहार की राजनीति में इस तरह की खींचतान आम है। हर चुनाव में गठबंधन के भीतर सीटों का बंटवारा और प्रत्याशियों का चयन प्रमुख मुद्दा रहता है। कुशवाहा का ट्वीट पार्टी के लिए चेतावनी की तरह है कि सभी दलों को संतुलन और पारदर्शिता बनाए रखना होगा। जनता और समर्थक इस समय पार्टी के रुख को लेकर गंभीर नजर रखे हुए हैं।
एनडीए में हलचल के बीच प्रत्याशियों की अंतिम सूची जल्द ही जारी होने की संभावना है। राजनीतिक दलों के लिए यह समय रणनीति और तैयारी का है। उपेंद्र कुशवाहा के बयान ने चुनावी जंग में नए मोड़ को जन्म दिया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि गठबंधन इस विवाद को किस तरह सुलझाता है और कुशवाहा की नाराजगी का असर आगामी चुनावों पर कितना पड़ेगा।
कुल मिलाकर बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में एनडीए के भीतर चल रही खींचतान और कुशवाहा के ट्वीट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है और आने वाले समय में इसके परिणाम महत्वपूर्ण साबित होंगे।






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