नई दिल्ली:- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक विवादास्पद नीति की घोषणा की है जिसमें देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय स्नातक नामांकन पर 15% की सीमा लगाने का प्रस्ताव है। इस नीति के तहत किसी भी एक देश के छात्रों की संख्या कुल नामांकन के 5% से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह कदम अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकता है जिसमें अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अवसरों में कमी आएगी।
नई नीति के मुख्य बिंदु
– 15% नामांकन सीमा: अमेरिकी विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय स्नातक नामांकन पर 15% की सीमा लगाई जाएगी।
– 5% देश-वार सीमा: किसी भी एक देश के छात्रों की संख्या कुल नामांकन के 5% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
– वित्तीय अनुदान की शर्तें: जो विश्वविद्यालय इस नीति का पालन नहीं करेंगे उन्हें वित्तीय अनुदान में कटौती का सामना करना पड़ सकता है।
प्रभावित विश्वविद्यालय
इस नीति के तहत निम्नलिखित 9 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है:
– मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT)
– यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया
– यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना
– ब्राउन यूनिवर्सिटी
– डार्टमाउथ कॉलेज
– यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया
– यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास
– यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया
– वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी
अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर प्रभाव
इस नीति के कारण अमेरिका में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में कमी आ सकती है। इससे न केवल छात्रों को परेशानी होगी बल्कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने 2023-2024 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 43.8 अरब डॉलर का योगदान दिया था।






Deprecated: File Theme without comments.php is deprecated since version 3.0.0 with no alternative available. Please include a comments.php template in your theme. in /home/u754392520/domains/dastakhindustan.in/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114