वाशिंगटन (अमेरिका):- अमेरिका में सरकारी शटडाउन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राजनीतिक गतिरोध किसी भी विकसित राष्ट्र को गंभीर संकट की ओर धकेल सकता है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी को लेकर खींचतान इतनी बढ़ गई है कि सरकारी कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ गया है। इसके परिणामस्वरूप लाखों सरकारी कर्मचारी अचानक बेरोजगार हो गए हैं और उन्हें वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। यह स्थिति न केवल आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बड़ा झटका साबित हो रही है।
शटडाउन की वजह से अमेरिका को हर दिन करोड़ों डॉलर का नुकसान झेलना पड़ रहा है। सरकारी विभागों की सेवाएं रुकने से आम नागरिकों की परेशानियां बढ़ गई हैं। कई ऐतिहासिक स्थल और संग्रहालय बंद हो चुके हैं जिससे पर्यटन क्षेत्र पर बुरा असर पड़ा है। पर्यटक निराश होकर लौट रहे हैं और स्थानीय कारोबारियों की आमदनी भी घट गई है। इससे स्पष्ट है कि शटडाउन का प्रभाव केवल सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका असर व्यापक स्तर पर महसूस किया जा रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह गतिरोध लंबा खिंचता है तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर पर भी सीधा असर पड़ेगा। शेयर बाजार में उतार चढ़ाव तेज हो सकता है और निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है। साथ ही वैश्विक स्तर पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव दिखेगा क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मानी जाती है।
यह संकट इस बात की ओर इशारा करता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में संवाद और सहमति की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है। यदि राजनीतिक दल अपने मतभेदों को समय रहते दूर नहीं करते तो इसका खामियाजा पूरे देश को उठाना पड़ता है। अमेरिका का यह शटडाउन इस बात का सजीव उदाहरण बन गया है कि राजनीतिक जिद और टकराव किस तरह राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।






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